Dr Aditi dev

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Jun-2022



“ग़ुरूर और इंसानियत”

ना आँखे ना सूरत देती साथ,
देती है तो बस इंसान की सीरत साथ ।

तन पे हो कपड़ा या हो बिछौना,
बिना इनके जग छोड़ के है जाना।

ना शब्द ना विचार तेरे ,
आएँगे याद मीठे अल्फ़ाज़ ही तेरे।

सुख दुःख भी आते जाते रहते है,
पतझड़ में भी नए पत्ते खिलते रहते है।

कोरा काग़ज़ है किताबी रूपी जीवन तेरा,
लिख दे इस पर यादगार इतिहास तेरा।

हँस बोल के जी ले ये ज़िंदगी,
मिलेगी इनहि से तुझे बन्दगी।

कर ना ग़ुरूर दौलत का जीवन में,
देगी ना साथ रूह भी काया में।

करता कोई रूप ,तो कोई दौलत का ग़ुरूर,
हुज़ूर करना है तो करो इंसानियत का ग़ुरूर।





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8 Comments

Swati chourasia

09-Jun-2022 10:09 AM

बहुत खूब 👌👌

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Abhinav ji

09-Jun-2022 08:44 AM

Nice👍

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Renu

08-Jun-2022 11:49 PM

👍👍

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